बाबू जगजीवन राम का समरसता एवं समावेशी दृष्टिकोण

Published On: 27-10-2021
Posted By: Public Relation Officer, Bihar Circle
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आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम-20 के अंतर्गत ‘बाबू जगजीवन राम का समरसता एवं समावेशी दृष्टिकोण’  विषय पर अंतर्राष्ट्रीय  वेबीनार का आयोजन

डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय बाबू जगजीवन राम के कार्यों, विचारों और लोक परंपराओं को समृद्ध करते हुए निरंतर गतिशील है। विश्वविद्यालय निरंतर वैश्विक फलक पर स्थापित होकर बाबू जगजीवन राम के कृतित्व एवं दर्शन के समावेशी चिंतन को जनमानस तक पहुँचाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। बाबू जगजीवन राम ने समरस समाज को स्थापित करने के लिए प्रतिम योगदान दिया है। बाबू जी एक सफल नीति-नियामक एवं निर्धारक थे उनके कृति-व्यक्तित्व को समाज में संवर्धित व संप्रेषित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से प्रयास किया जा रहा है। उक्त बातें हेरीटेज सोसाईटी तथा ब्राउस कुलपति प्रो. आशा शुक्ला द्वारा  बाबू जगजीवन राम पीठ, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय  के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रंखला के बीसवें कार्यक्रम  में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार विषय ‘बाबू जगजीवन राम का समरसता एवं समावेशी दृष्टिकोण’ में बतौर अध्यक्ष प्रतिभागियों को सम्बोधित किया गया। 


 सामाजिक एकजुटता और समरसता के पुरोधा बाबू जगजीवन राम : प्रो. आशा शुक्ला, कुलपति  
कुलपति प्रो.  आशा शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बाबू जगजीवन राम ने सदैव समाज को अपनी कार्यशाला बनाया। सरकार में रहते हुए निरंतर उन्होंने किसानों, श्रमिकों के लिए सफल एवं अनुगामी नीतियों का निर्माण किया ताकि देश में आर्थिक समरसता का भाव सभी प्राणिमात्र में व्याप्त हो सके। विश्वविद्यालय में स्थापित पीठ के द्वारा बाबू जगजीवन के दर्शन एवं कार्यों पर आधारित व्याख्यान, शोध एवं प्रसार गतिविधियां की जाती हैं ताकि जनमानस उनको आत्मसात कर सके। राष्ट्र कल्याण का समरस भाव लोगों में उद्धृत हो सके, इसी पर बाबू जी निरंतर प्रयासरत रहे। बाबू जगजीवन राम ने अपने कृतित्वकाल में संघर्ष करते हुए नए प्रतिमान स्थापित किये। विश्वविद्यालय उनके समरसता, समावेशी और सनातन परंपरा के योगदान को आमजन में पहुँचाने के लिए संकल्पित है। 

 समरसता एवं  समावेशी राष्ट्र के प्रतिमान थे बाबू जगजीवन राम : प्रो. नृपेंद्र कुमार श्रीवास्तव   

मुख्य वक्ता के रूप में मगध विश्वविद्यालय बोधगया के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. नृपेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बाबू जगजीवन राम ने एक सफल समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ तथा एक कुशल प्रशासक के रूप में योगदान दिया। उनका समरस एवं समावेशी चिंतन सदैव राष्ट्र एवं समाज को जोड़ने वाला था। आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय का स्मरण सदैव उनके कार्यशैली में दिखाई देता रहा है। उनके द्वारा बनाये गए नियम एवं नीतियाँ जाति बंधनों से मुक्त रही हैं। उन्होंने सदैव सभी वर्गों के लिए समरस भाव से कार्य किया है। बाबू जगजीवन राम सर्वधर्म संभव के पुरोधा थे। उनके व्यक्तित्व में आत्मसंयम, संगठन, राष्ट्र और स्वावलंबन जैसे गुणों का समावेश था।  बाबू जगजीवन राम ने श्रम को देशज अस्मिता से जोड़ने का अथक प्रयास किया। उनका किसी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय से कोई दुराग्रह नहीं था। वे एक चिंतन में समरसता एवं समता का समावेश था। उनका मानना है कि आमजन के चिंतन के केंद्र में ही देश का विकास संभव है। उन पर मंथन करना आजादी के प्रति निष्ठा के भाव को बल मिलता है।  

आजादी के अमृत महोत्सव आयोजन श्रृंखला के समन्वयक तथा  हेरीटेज सोसाईटी के महानिदेशक डॉ. अनंताशुतोष द्विवेदी ने  कार्यक्रम के धन्यवाद ज्ञापन   के अपने वक्तव्य में सम्बोधित किया कि समरसता जिसका आदर्श है , दृष्टिकोण जिसका समावेशी है , ह्रदय जिसका उदार है वह कोई और नहीं हमारे जगजीवन राम ही थे। साथ ही दर्शकों से अनुरोध भी किया कि इस  भारत की आजादी के इस अमृत यात्रा को घर -घर जरूर बताएं, साथ ही अपने विचार एवं सन्देश  भी साझा करें। तभी आपके आस-पास के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदानों को लिपिबद्ध कर हम आने वाले पीढ़ी को बताने में सफल हो पाएंगे।  साथ ही कार्यक्रम का  फीडबैक लिंक को जरूर भरिये ताकि प्रतिभागिता प्रमाणपत्र भी  दिया जा सके।  


कार्यक्रम का संचालन बाबू जगजीवन राम पीठ के शोध अधिकारी डॉ. रामशंकर तथा तकनीकी सहयोग विष्णुप्रिया द्वारा किया गया।  इस अवसर पर देश-विदेश के वरिष्ठ स्वतंत्रता चिन्तक, शिक्षक एवं शोधार्थी आभासी मंच से जुड़े रहे।

 

कार्यक्रम का रेकॉर्डिंग इस लिंक पर उपलब्ध है : https://www.youtube.com/embed/2IyIwfLFPw4

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