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हेरीटेज सोसाईटी द्वारा 'प्रकृति एवं परंपरा का उत्सव' राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
ऋतुराज बसंत का आगमन हो रहा है। सभी लोगों का जीवन उल्लास और उम्मीद से भरा हुआ है। सूर्य की गर्मी धीरे-धीरे चढ़ रहा है। लोग शरद ऋतु को जाते और बसंत को आते देख अपने जीवन में उम्मीद का एक नया किरण देख रहे हैं। हम प्रकृति का आभारी हैं कि उसने आज हम सब को बसंत का मौसम दिया। उक्त बातें हेरीटेज सोसाईटी, रिस्पेक्ट इंडिया तथा सानंत द्वारा संयुक्त रूप से बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में मालविका जोशी ने कही।
कार्यशाला के समन्वयक एवं संचालक हेरीटेज सोसाईटी के महानिदेशक प्रो. अनंताशुतोष द्विवेदी द्वारा सर्वप्रथम आमंत्रित समस्त अतिथियों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात डॉ. गायथ्री एस. लोकेश द्वारा प्रस्तुत किये गए सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।
मालविका जोशी द्वारा बसंत पंचमी और उसकी विशेषता को विस्तार से प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बसंत में पड़ने वाले महत्वपूर्ण उत्सवों के बारे में भी बताया। चौठ का जिक्र करते हुए कहा कि इसी दिन भगवान गणेश को उनके माता ने जन्म दिया था। उन्होंने कहा कि पार्वती ने अपने उपटन से गणेश को उत्पन्न किया था। उन्होने माता सरस्वती का जिक्र करते हुए कहा कि जब ब्रम्हा जी ने इस सृष्टि को बनाया तो उन्होंने देखा कि इतना खूबसूरत सृष्टि पर कुछ कमी रहा गई है, तो विष्णु जी के आग्रह पर उन्होंने अपने कमंडल का पानी धरती की तरफ फेंका तो उससे खूबसूरती और जगमगाहट का अनुभव हुआ वो कोई और नहीं माँ सरस्वती का जन्म था।
इस अवसर पर डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के सन्दर्भों का जिक्र करते हुए अपने व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि एक बार निराला जी कही जा रहे थे, रास्ते में किसी भिक्षुक ने उनसे कुछ मांगा और उनको बेटा कहकर संबोधित किया। निराला जी ने तुरंत अपने बदन के कोट को उस भिक्षुक को दे दिया। उन्होंने आगे माँ सरस्वती का जिक्र करते हुए कहा कि ये पूजा केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में भी किया जाता है।उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया में माँ सरस्वती के अलग-अलग रूपों को पूजा की जाती है।
सागरिका बनर्जी ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को सरस्वती यंत्र निर्माण की विधियों को बताया। उन्होंने लाइव डेमो देकर लोगों को पूरी निर्माण प्रक्रिया को समझाया। उन्होंने यंत्र निर्माण के क्रम में माँ सरस्वती से जुड़ी कई रोचक सन्दर्भों का भी जिक्र प्रतिभागियों से किया। यंत्र निर्माण विधि का सभी प्रतिभागियों ने खूब तारीफ की।
डॉ. मनीष कुमार चौधरी ने इस कार्यशाला में भाग ले रहें सभी अतिथियों, प्रतिभागियों तथा आयोजन मंडल के सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने वक्ताओं के व्याख्यान को अत्यंत उपयोगी बताया। हेरीटेज सोसाईटी, रिस्पेक्ट इंडिया और सानंत के सदस्यों के सहयोग की प्रशंसा भी की। आयोजन में देश के विभिन्न शहरों से प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।